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1 Jul 2022 · 1 min read

मेरी आँखे

बोझ मेरे सपनो का
मेरी आँखो से भी सहा न गया
थक गई वह बेचारी भी
मेरे सपनो को बुनते-बुनते
आखिर टूट गया एक दिन
उसका भी सब्र का बाँध
फिर रोक न पाई वह
आँखो से आँसु को बहने से।

मैने उसको कितना समझाया
मत हो तुम इतना अधीर
रोक ले तुम आँसु को बहने से
रख तुम मन मै थोड़ा सा धीर
एक दिन तेरे सारे सपने पूरे होगे
क्यों हो गई तुम इतनी जल्दी अधीर।

~अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 355 Views
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