मेरी अम्मा तेरी मॉम
पहले समय में अम्मा होती,
अब होती हैं मॉम।
अम्मा तो थी निरा देहाती,
मॉम का है बड़ा नाम।
अम्मा अपना दूध पिलाती,
गाल बाल सहलाती।
बुकवा तेल की मालिश करती,
लोरी से बहलाती।
आँचल से मेरी देह पोंछती,
लेती रोज बलैया।
आंख में काजर माथ पे टीका,
चुल्ला जोड़ कलैया।
मेरे नाम पर दान बांटती
हरछठ सकठ उपवास।
मेरा लल्ला बने तिलंगा,
लघु सपने बड़ी आश।
मैं बनू लंबा हट्टा कट्टा,
नित देती पय नैनूं।
सुंदर लगूं सदा सब जगह,
खूब सजाती मैनूं।
अम्मा के आशीष वजह से,
हूँ खुशहाल निरोग।
उनकी सीख मार्ग पर्दशन,
कर रहा हूँ सुख भोग।
तब सब अम्मा एक तरह थी,
क्या तेरी क्या मेरी।
सुत पर पल पल थी न्यौछावर,
देती दुआ घनेरी।
हरि ऊपर धरती पर मां थी,
दोनों का इक काम।
जितनी अम्मा हैं इस जग में,
सबको मेरा प्रनाम।
अब मम्मी की हाल सुनाऊं,
सुनो कान कर खोल।
आंग्ल बात में माहिर मम्मी,
वही सिखाती बोल।
कृतिम दूध डिब्बे का लाकर,
बोतल में घोल पिलाती।
न लोरी न थपकी आँचल,
इंग्लिश में कुछ गाती।
ज्यादातर तो आया करती,
ऊपर के सब काम।
चिंटू पलता पलने अंदर,
आफिस होती मॉम।
मॉम को केवल एक ही चिंता,
निज फिगर का ध्यान।
सो वह भूल से भी न देती,
शिशु को स्तनपान।
किट्टी पार्टी से न फुर्सत,
बच्चा पाले आया।
जीन्स टॉप में न हो आँचल,
अजब मॉम की माया।
चिंटू अपने आप ही बढ़ता,
मदद करे शिशु वाकर।
डाइपर बदलन दूध पिलावन,
करते नौकर चाकर।
थोड़ा चिंटू बड़ा हुआ तो,
कान्वेंट स्कूल मिला।
चिंटू हैपी मॉम भी हैप्पी,
कहीं न कोई गिला।
पिज्जा बर्गर मैगी मोमो
चिप्स चॉकलेट बार।
दाल भात तो कभी कभी ही,
मुख्य यही आहार।
चिंटू बनकर बड़ अभियंता,
यू एस ए जाए फंसा।
किसी गोरी संग ब्याह रचा कर,
परमानेंट बसा।
वैसे तो मॉम और पापा,
दोनों पाते पेंसन।
लेकिन आपस में न पटती,
रहती घर में टेन्सन।
पैसा कम हो भले पास में
पर अपने न हो दूर।
एक दूजे का सुख दुख बांटे,
तब जीवन भरपूर।
शक्तिशाली परम्परा थी अपनी,
रीति और संस्कार।
आंग्ल सभ्यता से मोहित हो,
सब हुआ बंटाधार।
नया जमाना नई चलन है,
टुंडा हो गया टॉम।
फूलमती अम्मा के दिन गए,
चिंकी बन गयी मॉम।
-सतीश सृजन