मेरी अभिलाषा
बंद हो देश में निरंकुश पाने का राज
अविलम्ब स्वार्थी समाज निर्जीवी हो
बुद्धि हो विवेक हो सुधिजन होवे देश में
प्रजातंत्र लोकतंत्र फिर से चिरजीवी हो ;;
शासक अब जनता के प्रति बने जबाबदेह
सुखद समाजवाद फिर से युगजीवी हो
सत्ता में चूर जो बने है आज मठाधीश
इन्हें नष्ट करने को वीर भाव नित जीवी हो…
कोटि कोटि कंठो का प्रतिनिधि बने हरेक स्वर
ऐसे जनों को वरने का विवेक भाव फिर जीवी हो ,,
पाण्डेय अब मानव का मानव न होवे दास ,,
दुराचार पापाचार अति श्रीघ्र निरजीवी हो ;;;;