मेरी अभिलाषा
मै कभी तुम्हें छोड़कर जाऊँ
ओ साथी,
इस बात से तुम नाराज न होना।
जाने देना मुझे गगन के पार,
मेरी राह रोककर खड़ा न होना।
अपने प्यार की डोर से साथी,
तुम मुझे जकड़ नही लेना।
दिए हुए मेरे सात वचन से
साथी तुम मुझे आजाद कर देना।
खोल देना रिश्तों की डोर तुम ,
उन्मुक्त गगन में मुझे उड़ने देना।
हँसते-हँसते कर देना विदा तुम ,
मन में कोई बात न रखना।
आँखों से तुम मेरे साथी,
आँसु को न बहने देना।
कहना दिल को रखे विश्वास ,
मै आऊंगी लौटकर फिर उसके पास l
तब तक के लिए मेरे साथी
वह रखे तुम्हारा पुरा ख्याल।
जब भी याद करेगा मुझे वह
होगा वहीं पर मेरे होने का एहसास ।
मै हवा बनकर रहूंगी साथी
सदा ही उसके आसपास।
कहना दिल से मेरे साथी
इस बात के लिए नही हो
वह हमसे नाराज।
शायद इस जन्म में लिखा था
इतना ही हम दोनो का साथ।
मेरे इन बेजान शरीर को साथी,
नही लगाना तुम आग।
मेरे अंग-अंग को मेरे साथी,
तुम कर देना कहीं उसे दान।
तुम इससे कर देना साथी,
दुसरो के जीवन का कल्याण ।
इसमें मेरी खुशी छिपी है,
तुम इस बात का रखना ध्यान।
मेरा दिल धड़कता रहे सदा,
कभी नही पड़े वह बेज़ान।
इस बात का ख्याल रखना मेरे साथी
इस दिल पर है तेरे प्यार का निशान।
मेरी आँखों में जो ख्वाब पले है
नही टूटे कभी उसका अरमान।
इसीलिए इन आँखों को साथी
दे देना फिर से जीवन का दान।
किसी के जीवन से मिलकर यह
फिर सजाएं ख्वाबों का आसमान।
मुझे तुम पर पुरा विश्वास है साथी
मेरी इन इच्छा का तुम करोगे सम्मान।
अनामिका