मेरी अदालत
बात बात पर न कर ,सज़ा ए मौत मुक़र्रर
कभी तो उम्र कैद से काम चलना चाहिए ……..
ये जंग मैं अक्सर लड़ती हूँ
खुद ही खुद को
कटघरे में खड़ा करती हूँ
कई सवाल और जवाब
हर जवाव पर घेराव……
कोई दलील
न कोई बचाव……
हज़ार दफ़ा ,धारा में
खुद को लपेट
हर कर्म की
सज़ा मुक़र्रर करती हूँ
ये जंग मैं अक्सर लड़ती हूँ
हो जग से छुपता
कोई राज गहरा ….
वक़्त का मारा
कोई खाव सुनहरा….
आता बेख़ौफ़
सजा कर सेहरा…
होती सबकी सुनवाई
सबका न्याय करती हूँ
ये जंग मैं अक्सर लड़ती हूँ
खुद ही खुद को
कटघरे में खड़ा करती हूँ ।।
सीमा कटोच
03/02/2019