मेरी अंजुमन में बहार आ न जाये
मेरी अंजुमन में बहार आ न जाये .
तुम्हारे गम का गुबार आ न जाये.
उलफत की नजरों से मुझको न देखो,
सरे-बज्म मुझको खुमार आ न जाये.
जो तुम रूठती हो तड़पता है ये दिल
इस बेरूखी पर प्यार आ न जाये.
जुदाई में कितने गुजार है लम्हे,
तुम्हे देखकर बो शुमार आ न जाये.
कहाँ जज्ब जज्बात जलते हुए हों
तुम्हारे दिल का दयार आ न जाए,