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5 Feb 2020 · 1 min read

मेरी अंजुमन में बहार आ न जाये

मेरी अंजुमन में बहार आ न जाये .
तुम्हारे गम का गुबार आ न जाये.

उलफत की नजरों से मुझको न देखो,
सरे-बज्म मुझको खुमार आ न जाये.

जो तुम रूठती हो तड़पता है ये दिल
इस बेरूखी पर प्यार आ न जाये.

जुदाई में कितने गुजार है लम्हे,
तुम्हे देखकर बो शुमार आ न जाये.

कहाँ जज्ब जज्बात जलते हुए हों
तुम्हारे दिल का दयार आ न जाए,

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