मेरा सुरत
चलकर गिरना,गिरकर उठना
उठकर फिर से चलना..शायद
ये अपने सूरत की कहानी है
कभी भूकंप कभी महामारी
तो कभी चारो तरफ यहाँ
पानी ही पानी है…
प्रकृति तुझे हर बार मारती हैं सूरत
पर प्रकृति ही हर बार तुझसे हारती हैं सूरत
सूरत जवान होकर दिखाता हैं
वापस अपना सुंदर स्वरुप
सहनशील बनकर पा लेता है
वापस अतिसुंदर रूप..क्योकि
कभी ना रुकने का नाम हैं सूरत
कभी ना झुकने का नाम हैं सूरत
तेरे हौंसले तेरी हिम्मत पर
हम सबको नाज़ हैं सूरत
तापी तेरी हैं महारानी
तू तापी का ताज हैं सूरत।
—-सोनु २८/०९/२०१३