मेरा सुंदर गांव
मेरा सुंदर गांव
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(१)
सरल स्वभाव की धनी है लोग यहां,
प्रेम भाव मेलजोल से रहते है यहां।
नदी नाला में लहराती हुई नाव,
पीपल के छांव मेरा सुंदर गांव।
(२)
कई तरह के फसल उगाते यहां,
धान गेहूं मूंगफली को खाते यहां।
थकान मिटाने के लिए पेड़ों की छांव,
कितना प्यारा गांव मेरा सुंदर गांव।
(३)
बहुत सुंदर पाठशाला है यहां,
बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलता यहां।
कोयल की कूक कौआ करे कांव,
पीपल की छांव मेरा सुंदर गांव।
(४)
पेड़ों की हरियाली यहां,
फूलों की न्यारी यहां।
ढेर सारी खुशियां सब पांव,
छोटा सा गांव मेरा सुंदर गांव।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
बसना, महासमुंद , (छ. ग.)
मो. 8120587822