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9 Nov 2021 · 1 min read

मेरा साथी…. अकेलापन

कुछ देर सुस्ताने क्या बैठी
चुपके से वो बदमाश आ धमका
बोला मुझसे ….

अभी तो त्योहारों की ख़ुशी में खिल खिला रही हो
पकवानों की ख़ुशबू से महके जा रही हो
दियों से जगमगाए घर को निहार रही हो
पर कल क्या करोगी ?….

जब चद्दर पर सिलवटें ढूँढे नहीं मिलेगी ?
बच्चों की चहचहाट के बिना सूना कमरा बोलेगा ?
ख़ाली डिब्बे अलमारियों में सजे मिलेंगे ?
तब मैं ही तो आऊँगा ……

तुम्हारे आँसू पौंछने
दिल को बहलाने
निराश आँखों में नए सपने दिखाने
मेरा नाम शायद तुम को पसंद नहीं है
पर अकेलापन नाम मेरा इतना बुरा भी ही नहीं है
दुख सुख में साथ देने वाला मैं ही हूँ
फड़फड़ाते पन्नों में अक्षर मेरे कारण ही सजते है
मुझे तुम्हारा साथी देख कुछ लोग जलते है
सोचते हैं ….

जाने कैसे ये दोनो आपस में मिल इतना ख़ुश रहते हैं
वरना ये अकेलापन जब जब हमारे पास आता है
हमारा जीना तो दुर्भर हो जाता है !!!

स्वरचित मीनू लोढ़ा ….

Language: Hindi
1 Like · 489 Views
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