मेरा सपना
एक दिन मैंने सपना देखा ,
उसमे मैंने खुद को देखा ..
मैं भारत की वीर सिपाही ,
पहनी थी मैंने खाकी भाई !
एक हाथ बंदूक लिए ,
दूजे में राष्ट्र का गौरव ध्वज ..
चट्टानों को चीर कर,
दुश्मनों का संहार किया
बनाये इतिहास नए..!!!
आँख खुली तो मैंने पाया ,
ये तो बस एक सपना था ..
फिर भी कितना अपना था !!!
ये सपना अब सच होगा ..
देश मेरा विकासशील से विकसित होगा !!!
नहीं झुकेगा , नहीं रुकेगा …
हर पग पर आगे बढ़ेगा ..
मेरा सपना अब सबका अपना .