मेरा सदग्रंथ….. नज्म-ए-दिल
तेरी अदाओ के मयखाने मे ,
कशमकश है मोहब्बत की ,
फिर क्यू ये तेरा दिल शोर ना करे ।
अश्क बेकरार है आँखो मे आने को ,
सुलगती आग को औस करने को ,
फिर क्यू ये तेरा दिल शोर ना करे ।
हर तरफ है यादों की लहर ,
कोई डर नही है जुल्मों के दौर का ,
फिर क्यू ये तेरा दिल शोर ना करे ।
तेरी तमन्नाओं को साँसों मे बांध कर ,
हर जख्म के लिए तैयार बैठे है ,
फिर क्यू ये तेरा दिल शोर ना करे ।