मेरा शहर
मेरा शहर
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मेरा शहर
सेवनिवृत्तों का
शहर है
रोजी-रोटी कमाने
कोई कहीं भी चला जाए
अपनी जड़ों से जुड़ने
लौट कर यहीं चला आता है,
बाहर से पढ़ने
आते हैं यहाँ
दूर-दूर से बच्चे
तभी तो मेरा शहर
‘एजुकेशन हब’ कहलाता है,
शाम होते ही
मोमो, चाऊमीन
खाने के शौकीन
इन्हें खाने खिंचे चले आते हैं,
गर्मियों में ठंडक पाने
सहस्त्र्धारा, मसूरी, गुच्चूपानी
दूर-दूर से आते हैं
इनकी नैसर्गिकता को कम करने
कचरे का ढेर लगा जाते हैं,
मेरे शहर के लोग
बाहर वालों को
आगे बढ़ गले लगाते हैं
पर अपनों को
दूर से ही बस हाथ हिलाते हैं,
मेरा शहर
जानता है बहुत सारे
अपने/परायों को,
लेकिन
मेरा होकर भी
मेरा शहर
मुझसे अनजान है
पर जैसा भी हो
मेरी पहचान है।
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#डॉभारतीवर्माबौड़ाई