मेरा शहर..!!
हाँ बहुत ही सुनसान हैं सड़के मुरादाबाद में!
हाँ बहुत ही चुपचाप हैं गलियाँ मुरादाबाद में!
चहलकदमी कम हो गयी हैं अब हर चौक में!
हाँ ये सच हैं कोई नहीं जाता घुमने बाज़ार में!
सच हैं हर बाग का आलम बहुत गमगीन हैं!
जमघट लगता नहीं हैं अब किसी बाजार में!
क्यूँ नहीं खेलता हैं अब कोई बच्चा मैदान में!
अब कोई इंसान नही दिखता हैं इत्मिनान में!
बैठा हैं ये खौफ़ किस तरह का हर इंसान में!
सभी को विश्वास हैं अपने अपने भगवान में!
ये वक्त अच्छा नहीं मगर वक्त अच्छा आयेगा!
शहर पहले की तरह फ़िर से खिलखिलायेगा!
✒Anoop S.