मेरा वो आखिरी शेर
सोने से पहले लिखा गया
मेरा वो आखिरी शेर ;
एक पूरे सादे कागज पर
तुम्हारे नाम का शेर,
रात भर देता रहा आवाज़े
और वही पड़ी एक कलाम थी
कोशिश करती रही जो
खुद-ब-खुद लिख जाने की
मै सोया था,
बिस्तर पर एक किनारे
और जो बह रहा था
वो जल ही था शिराओं मे
मेरे दोस्त !
वक़्त नहीं ला सका था
तुम्हें मेरे करीब,
कलम भी ना सकेगी
अब मुझे तुम्हारे करीब।