Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2016 · 9 min read

मेरा विश्र्वास

मेरा विश्र्वास

यूॅंही माेल में घूमते हुए आठ बज चुके थे। मौनवी ने मोबाइल से नरीत को बताया ,
“मुझे थोड़ी देर लग जायेगी ,मै अपनी ड्रेसमेकर के यहाँ जाकर आउंगी ।खाना खा लेना जल्दी और मेरे घर पहुँचो डिज़ाइन कन्फर्म है और मटीरिअल भी फाइनल हो गए है, बस थोड़ा समझा कर निकल आती हुं”
“मै अकेला तुम्हारे पापा- मम्मी से बात करते हुए बोर हो जाऊँगा ,घर पहुँचकर कर फोन कर लो ,दस मिनट का तो रास्ता है, जल्दी से आ जाऊँगा ”
“ओके ,जल्दी आना कॉफी बनाती हुॅं ,आइसक्रीम के साथ मे खाएँगे ”
और तेजी से कार ड्राइव करके टेलर के वहाँ गयी ।काम निपटाकर घर की और जाते हुए मन में नरीत का प्यारा सा चेहरा याद आने लगा ।अकेले ही छोटी सी हसीं निकल गयी और सोचने लगी,घर पर मेरी राह देखने में काफी सवालों के जवाब जो पापा- मम्मी पूछ बैठते और कही मुंह से कुछ कॉन्ट्रास्ट बातें निकल गयी तो हमारे बाहर घूमने के बारे में मेरे स्मार्ट पापा तुरंत समझ जाएंगे ।नरीत मौनवी केपापा के फ्रेंड का लड़का था ,जो गुजरात में रहेते थे और नरीत यहाँ हॉस्टल में रहता था ओर दोनों में काफी दोस्ती ….नहीं… उससे ज्यादा कुछ प्यार जैसा ही हो गया था ।कई बार वो उसे स्केच वगैरह भी बनाकर देता था । और उससे मिलनें की चाह मे धड़कने और तेज़ होने लगी ,मधुर संगीत के साथ बड़ी प्यारी सी फीलिंग महसूस करने लगी ।बारिश का टपकता हुआ पानी कार के फ्रंट ग्लास पर जैसे एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग बना रहा था और नए बरसात से हवा में घुल गयी मीठी सी महक लेते हुए हथेली बाहर निकाली ।मध्यम सी गिरती हुई बारिश ने मौनवी को और रूमानी बना दिया और उसने वापस नरीत को मोबाइल लगाया ।
“इतनी मज़ेदार बारिश में विंडो के पास बैठे हो या वीडियो गेम खेल रहे हो ?”उसने जस्ट ऐसे ही नरीत को छेड़ा …
“तुम पास नहीं हो तो बारिश भी कुछ ख़ास नहीं लगती ,साथ में विंडो के पास बैठे हुए , हाथ में काॅफ़ी का कप लिए ,अच्छा सा म्युज़िक सुनते हुए …..”
“वाह ,काफी शायराना हो रहे हो …?”
“हां ,मौसम ही ऐसा हे और साथ में तुम्हारी सुरीली आवाज़ के साथ और नए रोमेंटिक ख़याल आ रहे है ,मिस यू सो मच “और मौनवी हसॅंते हुए ,”
“ओके अब घर पहुंचने वाली हुॅं ,जल्दी से तूम भी निकल आओ “घर पहुँची तो पप्पा -मम्मी डाइनिंग टेबल पर बैठकर राह देखते थे ।
“चलो जल्दी खाना खा लो ,काफी लेट हो गया ?नरीत के दो बार फोन आ गए ।उसने भी डिज़ाइन तैयार किए है तो डिस्कस करने के लिए आना चाहता था ”
”हां ,मेरी बात हुई अभी आता ही होगा ”
फ्रेश होकर जल्दी से खाना खाके काॅफ़ी मशीन में नरीत की फेवरिट चॉकलेट मिक्स करके काॅफ़ी तैयार कर रही थी के डोरबेल बजी ।पापा- मम्मी लिविंगरूम में टीवी देख रहे थे। मौनवी ने जल्दी से दरवाजा खोला ।सामने हाथ में अपनां लेपटोप और एक हाथ में अपना चश्मां और आइसक्रीम लिए हुए नरीत मुस्कुरा रहा था ।
“आओ ,काॅफ़ी तैयार है और तुम्हारी लाई हुइ आइसक्रीम का इंतज़ार कर रही हे ”
“तुम नहीं कर रही इंतज़ार ?”पूछते हुए बारिश में थोड़ा सा भीगा हुआ नरीत का चहेरा और खूबसूरत लग रहा था ।
“हां ,, काॅफी से भी ज्यादा “…… कहकर मौनवी ने खुबसुरती से आंखे झपका दी और हसता हूआ नरीत अंदर आया ।नरीत ,”नमस्ते अंकल -आंटी “कहते हुए सोफे पर बैठा ओर इधर -उधरकी बातें करने लगा ।इतने में काॅफ़ी वगैरह तैयार करके अपना पोर्टफोलियो लेकर फेमिली सिटिंग में बैठी और नरीत ने सामने की कुर्सी पर बैठते हुए ,
“बहुत खूबसूरत लग रही हो ,एकदम बारिश में नहाए हुए फूल की तरहा,जैसे ये हरा दुपट्टा बेले हो और तुम उस में खिला हुआ गुलाबी फूल
.”आर्किटेकचर के साथ अब शायरी जो लिखी हे उसकी भी एक किताब पब्लीश कर दो ”
“आर्किटेकचर तो अभी ये साल मेरा कम्प्लीट हो जाएगा लेकिन तुम जब तक हो ,कविता और शायरी तो बनती ही रहेगी।तुम्हारा तो अभी ये दूसरा साल हे फैशन डिज़ाइनिंग का अगले साल से तो में काम में बीझी हो जाऊंगा”
“लेकिन मेरे लिए तो ऐसे ही मिलने आना पडेगा.”
“और तुम नहीं आओगी मिलने ? यहाँ एक रेंटल फ्लैट देख रखा हे, वहां शिफ्ट हो जाउंगा .”और मौनवी खुश होकर,
“वाउ,यहीं सेटल हो रहे हो, ये तो बेस्ट बात है,यहाँ दिल्ली में ऑपर्चुनिटी ज्यादा हे ,मेरे भाई तरंग का कल अमेरिका से फोन आया था ,न्यूयॉर्क में हम सबकी याद आ रही हे ,मुझे वहाँ आगे पढ़ाई करके सेटल होने के लिए बुला रहा है”,
और … नरीत की आँखे उदास हो गयी ।
“अच्छा ,मुझे छोड़कर जाने का प्रोग्राम भी बना लिया ?मै क्या यहाँ देवदास बनने का कोर्स जॉइंट कर लूं ?”
”अरे ,जस्ट बात कर रहे हे कुछ पक्का थोड़ा है ?ओर पढ़ाई करके वापस यहीं तो आना है”ओर नए दो स्केच बनाये थे वो नरीत के लेपटॉप पर देखकर बोली ,
“तुम्हारे जितना अच्छा स्केच मुझसे नहीं बनता, रिअली एक्सेलेंट “और ऊपर देखते हुए नरीत की आंखो मे देखने लगी ।
“युॅंही देखती रहो तो कुछ ओर कविताए भी लिख दूं”
इतने में पापा की आवाज़ आई ,”गुड नाइट” कहकर रुम में जा रहे थे।मम्मी ने पूछा ,”एकझाम तक सब डिज़ाइन हो जाएगी नां?”
“हां ,अभी तो डेढ़ महीना बाकी रहा है, मम्मी ,नरीतने भी थोड़े स्केच बनाये और मेरी प्रेक्टिकल की ड्रेस भी एक वीक में तो आ जायेगी “और नरीत ने गुड़ नाइट कहते हुए ,
“ओके ,आंटी मेैं भी निकलता हूॅं ,अगले वीक में वापस आकर जो स्केच सिखाये वो चेक कर दूंगा “”
मम्मी भी मौनवी को बराबर दरवाजा लोक करने की सूचना देकर रुममें चली गयी ।नरीत बारिश देखते हुए काॅफ़ी का ग्लास लेकर बाल्कनी की ओर गया।
“यहाँ से बारिश देखना कितना अच्छा लग रहा हैऔर आज जो शायराना बात कही थी वो भी सच हो गयी हे ,हम साथ है और बारिश के साथ कॉफी…” ,
और मुड़कर पीछे खड़ी हुई मौनवी की और देखा ।
“हां ,पिछली बारिश में ये बात कहॉं थी ?,तुम जबसे मिले ये नयी बारिश और सुहावनी हो गयी है,अब तुम ऑटो में जाते हुए भीग जाओगे मेरी कार लेकर जाओ .सुबह में भी मिलना हो जाएगा “और नरीत ,
“कल तो मुझे जल्दी क्लास जाना है ,शाम को कहीं बाहर मिलते है ,अब में निकलता हूॅ ”
बहार स्टेप्स के पास खड़े हुए बाय करता हुआ मौनवी का हाथ पकड़कर नरीत ने उसे नज़दीक खींच लिया और मौनवी भी एकदम से उसके नज़दीक आ गयी ।उपर से हवा में झूलतीं बेलों से पानी के छींटे दोनों को भीगा रहे थे । धीरे से दूर होते हुएनरीत छाता लेकर गुड नाइट ‘कहते हुए स्टेप्स उतर कर निकल गया ।थोड़ी देर एकदम अपनी भावनाओ पर काबू पाती हुई दरवाजे के पास खडी रही औरउँगली से अपने होठों को छूती हुई शर्मा सी गयी ।आज पहली बारिश का ये प्यार काचुम्बन….ओर जल्दी से रुम में जाकर आईने के पास खड़ी हो गयी ।शांत सी रोशनी में अपने आपको देखने लगी और जैसे ,नरीत अब भी उसे बाहों मे समेटे हो और वो जैसे…. बस उसे सिर्फ देख नहीं पा रही ।हसीं पलो को महसूस करती हुई लाइटबंद कर के नरीत के फोन का इंतज़ार करते हूए हाथ में मोबाइल लेकर बेडपर बैठी रही और १५- २० मिनिट बाद रिंग बजी तो जल्दी से “हैलो” कहते हुए हॅंस पड़ी , सामने नरीत भी …..बारिश की प्यारभरी शायरी सुनाते हुए …..और मौनवी की नींद लग गयी ।दूसरे दिन शाम का सूरज ढल रहा था , भीगे घास की सुहानी खुशबू के बीच एक पार्क में बैठकर नरीत मौनवी का इंतज़ार करने लगा ।लाइट पिंक टी- शर्ट और वाइट ट्राउज़र में एकदम खूबसूरत लग रही थी।नरीत अपने हाथो में मौनवी का हाथ लेते हुए ,
“अब अपने भविष्य के बारे में भी कुछ डिसाइड करलें”
“मेरी पढ़ाई तोअभी २ साल और बाद में कही फोरेन में ही ट्रेनिंग वगैरह पापा मम्मी सोच रहे है ,शादी के लिए तो सोचना अभी बहूत जल्दी होगा और मैं इन बंधनो में अभी से नहीं……”
“प्यार बंधन नहीं है ?”
“ऐसा नहीं, लेकिन साथ में घर की सब जिम्मेदारी भी तो निभानी पड़ती हे ”
“कल तो तुमनें राह देखते हुए नई दुल्हन की तरह ही तो कॉफी बनायी ”
और दोनों हॅस पड़े.
“जब अपना घर बनता हे तो प्यार की बातें हवा हो जायेगी, ऐसा लगता है तुम्हे ?में तो तुम्हें ऐसे ही प्यार करता रहूॅगा”
ऐसे ही मिलते रहते दोनों ।नरीत एकझाम के बाद थोड़े दिनों के लिए अपने घर चला गया। शाम होते ही नरीत की यादें मौनवी को घेर लेती।वेकेशन का समय था तो मौनवी ने अपनी दो- तीन फेन्डस के साथ गारमेन्ट फेशन शो में हिस्सा लिया।नरीत को भी फोटो भेजे ।लेकिन, वो तो एकदम से गुस्सा हो गया,
“तुम्हें अैसे फैशन शो में मोडेल की तरह नहीं जाना चाहिये ,तुम तो डिजा़इनर हो, वही करो”
“लेकिन उस में क्या हो गया ?तुम तो एसे बिगड़ रहे हो जैसे कोई बड़ा पाप कर दिया हो मेने”
“क्यों इससे तुम्हारी इमेज पर कोई असर नहीं होगा ?”
“ओके ,अब आगे सोच कर करुँगी बस ?”
“मैं परसो आकर सीधे तुमसे मिलने आता हूॅ और इस संडे नइ जगह पर शिफ्ट हो जाता हूं”
आने के बाद नरीत अपना नया किराए का घर दिखाने ले गया ,एक बेडरूम और छोटी सी बैठक और किचन ,दीवार के साथ लगा हुआ डाइनिंग टेबल ,छोटी छोटी चीजो से बहोत अच्छी तरह से सजाया था । एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में जॉब ऑफर भीकन्फर्म कर लिया था ,उसका लैटर दिखाते हुए मौनवी को बांहो में भर लिया ।
“धीरे धीरे हमारे सब सपने सच हो जायेंगे ”
“लेकिन पापा मम्मी नहीं मानेंगे ,वो लोग मुझे कभी ऐसे संघर्ष करते हुए नहीं देख सकेंगे ”
“हां ,तुम्हारे हाई- फाई लाइफस्टाइल से मेरी लाइफ का तो कोई मेल नहीं हे ,लेकिन मुझे यकीन हे कि मेरे दिल जितने छोटे से घर में तुम रह सकोगी ”
…और ये कहते हुए मौनवी की आंखो में अपने सपनों के जवाब ढूंढता रहा।मौनवी देर तक नरीत के कंधे पर सर रखकर चुपचाप बैठी रही और नरीत प्यार से उसके बालो में उंगलियां फिराता हुआ, उसकी साँसों में छिपे हुए डर को महसूस करता रहा था। जैसे कह रहा हो ,वक्त का भरोसा नहीं ।थोड़ी देर बाद मौनवी उठ कर बोली,
“काॅफ़ी बना दूं?”
नरीत ने छोटे से फ्रिज से दूध ओर काॅफ़ी निकालकर दी ओर लेपटॉप पर अपने इ- मेल चेक करने लगा ।काॅफ़ी के दो कप लेकर मौनवी नरीत के पास बैठ गयी ।नरीत ने प्यार से देखते हुए ,
“थैंक्स फॉर ओपन माय टाइनी किचन”ओर मौनवी ने उसका हाथ खींचते हुए ,
“चलो उठो, बाल्कनी में बैठते है ,”एकदम छोटे से २- ३ फूलों के गमलो से सजी बाल्कनी में बैठकर सुब्हे का सूरज दोनों की आंखो में चमक रहा था ।। पूरा दिन साथ बिताने के बाद मौनवी ,
“अब मैं निकलती हूं”
“जब भी मन करे सीधी यहाँ आ जाना ”
२- ३ महीने बाद अमेरिका से उसके भाई तरंग ने अमेरिका में एड्मिशन के पेपर भी भेज दिए और पापा मम्मी ने कहा ,
“वहीं पर र लेटेस्ट सीखने को मिलेगा और तुम्हारा फ्यूचर बन जाएगा .
“रात में पापा मौनवी को फ्यूचर के बारे में समझा रहे थे तभी हिंम्मत करके उसने बोल दीया,
“पापा मैं नरीत से प्यार करती हूं”
“क्या ?तुम होश में तो हो?वो तो एकदम साधारण लड़का है,तुम वहाँ नहीं रह पाओगी”
“साधारण लडके से प्यार नहीं हो सकता ?आपतो सबको पैसे से ही तौलते हो”
“देखो तुम्हारे भैया ने तुम्हारे लिए बेस्ट कोर्ष और अपने सर्कल में वेलसेट लडका ढूंढा है और हम इसी ओगस्ट महीने में यू. एस. जा रहे हे”
और रोते हुए मौनवी अपने कमरे में चली गयी।दूसरे दिन भी मनाने के बावजूद अपने कमरे में बंध सोइ रही और कीतने दिनों तक चुपचाप बैठी रहती ।नरीत का फोन आया तो कुछ बहाने बनाकर टाल दिया और एक दिन फोन करके अमरीका जाने की बात बताई ।नरीत घरपर मिलने आया।पापा- मम्मी ऐसे ही थोड़ी बात करके बैठे रहे ।मौनवी रूम से बाहर आयी और एकदम फीकी सी हॅंसी के साथ नरीत के चहेरे को देखा और ,
“हाय ,कैसे हो ?मेरी तबीयत ठीक नहीं,”
कहकर वापस अपने रुम में चली गयी। नरीत का उदास चेहरा, बढी हूइॅ दाढी और आंखो का सूनापन याद आते ही आंसू निकल आये।बाहर से बाते करने की आवाजे़ आ रही थी और थोडी देर बाद मम्मी अंदर आकर कहने लगी,
” तुम्हारे पापा ने स्ट्रीक्ट शब्दों में उसे यहाँ आने से मना कर दिया है और जाते समय वो कहकर गया है,मैं तो मौनवी से प्यार करता हूॅ ,उसके फ्यूचर के रास्ते में कभी रुकावट नहीं बनूंगा”
और ,ये सूनकर मौनवी दरवाजे की ओर भागी लेकिन नरीत जा चूका था ।निराश होकर अंदर आयी,टेबल पर डीश में पिघली हुई आइसक्रीम पडी थी। चम्मच लेकर पिघलते आंसू के साथ पूरी आइस्क्रीम खा ली ,लेकिन… दील में उठते अंगारो।पर उसकी ठंडक का कोइ असर नहीं हूआ। देर तक जागती रही ।। दूसरे दिन से स्वस्थ होकर बेग पैक करने लगी ,थोडा़ जरुरी शोपीिग भी कर लिया ।और ,अमरीका जाने का दिन भी आ गया…
…सुब्हे की फ्लाइट् से अमेरिका जाना था उस समय से पहेले सुबह आठ बजे पापा- मम्मी के नाम एक लेटर लिखकर नरीत के धर चली गयी। वहां जाकर डोरबेल बजाने से पहले डोरपर लिखा नोट पढकर हॅंस पडी मौनवी,डोरबेल बजाने की जरुरत।नहीं,तुम्हारी राह में दरवाजा खुला रखा है”अंदर जाते ही नरीत हॅंसता हुआ बांहे फैलाये खडा था ।
– मनीषा जोबन देसाई

Language: Hindi
357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
अगर.... किसीसे ..... असीम प्रेम करो तो इतना कर लेना की तुम्ह
अगर.... किसीसे ..... असीम प्रेम करो तो इतना कर लेना की तुम्ह
पूर्वार्थ
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
इक ज़िंदगी मैंने गुजारी है
इक ज़िंदगी मैंने गुजारी है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
सजल
सजल
seema sharma
हिन्दी माई
हिन्दी माई
Sadanand Kumar
..
..
*प्रणय*
किया आप Tea लवर हो?
किया आप Tea लवर हो?
Urmil Suman(श्री)
अपना जीना कम क्यों हो
अपना जीना कम क्यों हो
Shekhar Chandra Mitra
ऐ फूलों पर चलने वालो, काॅंटों पर भी चलना सीखो ,
ऐ फूलों पर चलने वालो, काॅंटों पर भी चलना सीखो ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
मानवता
मानवता
लक्ष्मी सिंह
खेतों में हरियाली बसती
खेतों में हरियाली बसती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरी नींद
मेरी नींद
g goo
बादलों पर घर बनाया है किसी ने...
बादलों पर घर बनाया है किसी ने...
डॉ.सीमा अग्रवाल
यादें मोहब्बत की
यादें मोहब्बत की
Mukesh Kumar Sonkar
‘पथ भ्रष्ट कवि'
‘पथ भ्रष्ट कवि'
Mukta Rashmi
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
कमरा उदास था
कमरा उदास था
Shweta Soni
श्रीराम का अयोध्या आगमन
श्रीराम का अयोध्या आगमन
Sushma Singh
2783. *पूर्णिका*
2783. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मसल कर कली को
मसल कर कली को
Pratibha Pandey
बचपन
बचपन
Nitin Kulkarni
मन का मैल नहीं धुले
मन का मैल नहीं धुले
Paras Nath Jha
- रिश्ते व उनकी रिश्तेदारिया -
- रिश्ते व उनकी रिश्तेदारिया -
bharat gehlot
"चुम्बन"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...