मेरा मैं
कितनी पैरवी करूं खुद की,
हर बार खुद की गलतियों से
तिरछा हो कर निकल जाता हूँ,
खामियाें पर कभी रेशम,
कभी बेलबेट चढ़ता हूं,
दलील ,आध बुने स्वैटर में बेढप डिजाइन सी
“मैं” को लेकर घसीटता ,चुंव्गम सा खीचता
कहीं भी चिपका देता, निहायत ढिठाई से