मेरा मुझमें कुछ तो शेष रहने दो (कविता )
बहुत लिया तुमने अब तक मुझसे मेरा सबकुछ ,
अब तो मेरा मुझमें कुछ तो शेष रहने दो ।
मेरी नींद ,मेरा चैन और मेरे कुछ सुकून के पल,
मेरा आनंद और खुशी मुझमें शेष रहने दो ।
मेरे कुछ सपने ,अरमान और अनेक ख्वाइशें ,
सिर्फ मेरे वास्ते थी ,तो मेरे वास्ते ही रहने दो ।
मेरी जिंदगी पर मेरा और सिर्फ ही मेरा हक़ है,
तुम मुझे मेरी जिंदगी,मात्र मेरे लिए जीने दो ।
कर्तव्यों के साथ अधिकार भी साथ ही होते हैं,
कर्तव्य तो बहुत गिनाए,अब अधिकार भी बता दो ।
‘अपनों ‘ ने प्यार न दिया तो खुद से ही प्यार करना सीख लिया ,
अब मुझे खुदगर्ज़ होने का इल्ज़ाम मत दो ।
कुछ उम्र गुज़र गयी अब कुछ ही शेष रह गई है,
करबद्ध विनती है तुमसे ,वो शेष उम्र अब मेरे लिए रहने दो ।
मेरा मुझमें कुछ तो शेष रहने दो …..