“मेरा मन”
“मेरा मन”
राज का हंसता चेहरा देखकर
अनायास ही मचलता है मन
शर्मीली अदाओं वाला राज
महसूस कर चहकता है मन,
रानू रोमी की सुन किलकार
स्वतः खुश हो जाता है मन
नई कविता बनाने को आतुर
बनते ही मुस्कुराता है मन,
नई जगह घूमने का शौकीन
मीनू को बहुत लुभाता है मन
परिवार संग घूमना है पसंद
अकेले तो घबराता है मन,
शांति से काम करना पसंद
बेईमानी से डरता है मन
सबको खुश देख खुश है
दुःख में तो रो जाता है मन।