मेरा भारत देश
मेरा भारत देश!
सुजल, सुफल,
सुखद परिवेश।
यहाँ गंगा यमुना बहतीं अविरल,
निर्मल, शीतल, पवित्र इनका जल।
रहते मनुष्य निर्लिप्त,
वातावरण में गूंजते-
गीता के उपदेश।
मनों में धर्म का प्रभाव,
उपजाता है बन्धुत्व भाव।
रहती है मिल कर रहने की चाह,
दिया विभूतियों ने सदा-
शान्ति का सन्देश।
धर्म भीरुता बाँधे रखती है,
निरुत्साहित पापों से करती है।
नहीं करने देती अपकर्म,
सम्बल देते हैं-
महापुरुषों के निर्देश।
जय भारत
जयन्ती प्रसाद शर्मा