मेरा भगवान्
इतनी ताकत मिली है मुझको रब की रहमत में।
साथ खड़ा मिलता है वो मेरी हर मुसीबत में।
कहो मिलता है भला क्या बदी और नफरत में
क्यूँ न भर ले मुहब्बत इंसां अपनी नीयत में।
कभी देखी न कसर उसकी तो इनायत में
तुम ही क्यूँ करते कसर उसकी इक इबादत में।
सारी कायनात पाई कैद उसकी ताकत में।
पाया उसे पत्थर में औ फूलों की नज़ाकत में।
रक्खें दिल साफ और नेकियाँ तबीयत में
ज़िन्दगी गुज़रे मुकद्दस में और शराफत में।
रंजना माथुर दिनांक 07/12/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना )
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