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8 Dec 2017 · 1 min read

मेरा भगवान्

इतनी ताकत मिली है मुझको रब की रहमत में।
साथ खड़ा मिलता है वो मेरी हर मुसीबत में।

कहो मिलता है भला क्या बदी और नफरत में
क्यूँ न भर ले मुहब्बत इंसां अपनी नीयत में।

कभी देखी न कसर उसकी तो इनायत में
तुम ही क्यूँ करते कसर उसकी इक इबादत में।

सारी कायनात पाई कैद उसकी ताकत में।
पाया उसे पत्थर में औ फूलों की नज़ाकत में।

रक्खें दिल साफ और नेकियाँ तबीयत में
ज़िन्दगी गुज़रे मुकद्दस में और शराफत में।

रंजना माथुर दिनांक 07/12/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना )
©

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