मेरा प्रेम पत्र
मेरा प्रेम पत्र
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दुनिया में सबसे अनूठा होगा,
न फूल छुपे होंगे,
न ख़ून से लिखा गया होगा,
न इत्र में नहाया,
न फूल पत्तियों से सजा होगा,
न छपे होंगे दिल,
न लबो का उसपे निशां होगा,
न धड़कती नब्ज होगी,
न सांसों का सिलसिला होगा,
न गिरेगी बिजलियाँ,
न बारिश का शमां होगा,
न सावन का जिक्र,
न बासंती उड़ा फाग होगा,
न कोयल की कूक,
न पपीहे का मल्हार राग होगा,
न लिखे होंगे प्रेम शब्द,
न कवियों शायरों का गान होगा !
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वो होगा सफ़ेद कोरा कागज़,
तुम्हारे बेदाग़ आँचल की तरह,
जिसे पढ़ पाओगे केवल तुम,
निहितार्थ हृदय तरंग की तरह !
ज्यों नभ, धरा पर टूटा होगा,
दुनिया में सबसे अनूठा होगा
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,’मेरा प्रेम पत्र’ !!
डी के निवातिया