मेरा प्रिय अश्व
यह रचना मेरे प्रिय अश्व Astounding( अद्भुत )
की स्मृति में समर्पित है। जिसका देहावसान पुणे में अश्व दौड़ के दौरान हुआ था। Astounding ने बेंगलुरु डर्बी ,लंदन डर्बी, पुणे कप में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त किया।
पवन सी उसकी गति जिसका कोई पार न पा सका।
सुंदर बलिष्ठ देहयष्टि जिसकी शांत था स्वभाव जिसका।
दिव्य शक्ति इतनी कि दूर से भी अपनों को पहचानता लेता ।
कठिन परिश्रम की लगन उसकी लक्ष्य उसका बनना विजेता ।
सतत विजयपथ पर प्रयासरत वह बनता विजेता जब ठान लेता।
देश में तो क्या उसने विदेशों में भी अपनी विजय पताका फहराई ।
प्रतिद्वंद्वियों की कभी कुटिल चाल काम ना आई उन्होंने हमेशा मुंह की खाई ।
एक दिन ऐसा आया जब उसने अपनों से धोखा खाया।
जब उसका प्रिय घुड़सवार चंद पैसों की खातिर दुश्मनों के हाथों बिक गया।
उसने प्रतियोगिता के पहले उसे कुछ ऐसा खिलाया जिससे उसे दौड़ते दौड़ते नशा आया।
वह लड़खड़ाया और संभल न पाया पाया गिर पड़ा उसका सिर जमीन से टकराया।
कातर दृष्टि से से वह स्वार्थी संसार को देख अलविदा कर वीरगति को प्राप्त हुआ ।