मेरा पहला पहला प्यार
मुझे जब पहला पहला प्यार हुआ,
क्या बताऊँ मुझे क्या क्या हो जाता था,
वो सो कर उठती नहीं थी,
मैं नहा धोकर तैयार हो जाता था ।।
वो जब जब छत पर आती थी,
तब तब मैं पतंग उड़ाता रहता था ,
लाखों पतंग कट गई थी मेरी,
और मैं हँसते हँसते कटवाता था ।।
एक झलक पाने को उसकी,
गली में सैकड़ो चक्कर लगाता था,
फेरी वाला चुप रहता था गली में,
और मैं फेरी वाला बन जाता था ।।
वो जिस दिन दिखती नहीं थी,
मुझको बुखार चढ़ जाता था,
माँ नजर उतारती रहती थी मेरी,
और बापू लाठी को तेल पिलाता था ।।
काम धाम से मन हट चुका था,
किताबें देख मन रो जाता था,
मजनू भी क्या मजनू लगता होगा,
मैं ऐसा सूफी दरवेश बन जाता था ।।
मुझे देख जब वो पहली बार हँसी थी,
उस दिन से हर दिन मैं मंदिर जाता था,
उधार चढ़ गया था प्रसाद बांटते बाँटते,
काजू कतली का उसको प्रसाद खिलाता था ।।
जब वो मेरे सामने से आती जाती,
मेरा दिल बाग बाग हो जाता था,
दोस्त उसे भाभी भाभी कहते,
मैं उसपर अधिकार जताता था ।।
लाखों रुपये चट कर गया था नाई,
हर बार चेहरे पर बाल बताता था,
आईएएस का पेपर पास कर जाता,
पर उसको एक लव लेटर लिख नहीं पाता था ।।
पहली बार प्रपोज करना था उसको,
लाखों रिहर्सल करता रहता था,
भाषण देता तो पीएम हो जाता,
पर उसको आई लव यू बोल नहीं पाया था ।।
prAstya…….(प्रशांत सोलंकी)