” मेरा पगलू “
बहुत लोग कहते हैं मुझे ,
बहुत दर्द दिखता है तेरे आंखों में ,
तु जुबां पे मुस्कान बड़ा सजाती है ,
किसके लिए अपनी बातों का जाल बुनती है ,
तुझे प्यार हो गया है या तु सिर्फ शायरी गढ़ती है ,
कौन है वो जिसके कलाई को तु ढुंढती है ,
इससे पहले आप कुछ और समझे ,
वो पगलू मेरे प्यारे भाई है ।
फिर से उस नोक – झोंक को तरसती है ,
कभी मोटी, कभी भैंस , कभी बिल्ली कह कर चिढ़ाते थे ,
उनसे ज्यादा परीक्षा में अंक मेरे आते थे ,
हर बात में नीचा दिखाते थे लेकिन हर कांड में एक दूसरे का साथ निभाते थे ,
साथ बैठ कर एक दूसरे को जीभ चिढ़ाते थे ।
हिचकी आए तो पानी पिलाते हैं ,
दस थप्पर मार कर गिनती एक ही बताते हैं ,
बंदरियां बोलते हैं लेकिन परी सी है मेरी बहन अपने महफ़िल में गाते हैं ,
अगर हो जाए कहीं देर तो पुरे घर को सर पर उठा लेते हैं ,
वो भाई ही तो है जो बेवजह प्यार जताते हैं ।
? धन्यवाद ?
– ज्योति