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11 May 2019 · 1 min read

मेरा नादान बचपन

मेरा बचपन ।
मां की गोद पिता का हाथ
भाई का प्यार परिवार का साथ
मौज मस्ती से भरा मेरा बचपन
मेरा नादान बचपन
गांव की गलियों में बीत गया
देखते ही देखते चला गया

बचपन तो चला गया
पर यादे रह गई की
हँसते मुस्कुराते पलो की
अब बस बाते रह गई
बचपन के वो दिन हंसते मुस्कुराते बीत गए
और अब हम बड़े हो गए
तरकी के चक्कर में भोपाल आ गए
अब सारा दिन गुजर जाता है
चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं आती
सपनों की दुनिया में कहां खो गए
ना जाने क्यों हम इतने बड़े हो गए
Kaluram ahirwar
अर्जुन सिंह अहिरवार

ग्राम जगमेरी पोस्ट रुनाह ब्लॉक बैरसिया

जिला भोपाल मध्य प्रदेश

Language: Hindi
539 Views
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