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9 Feb 2021 · 2 min read

मेरा दोस्त और बचपन

तुम्हारी हरकतों को देखकर, मुझे वो याद आता है।
खोया हुआ मेरे बचपन का यार, मुझे याद आता है ।।

खींच खींच कर, कपड़ों को रगड़ देना ।
चड्डी को फाड़कर, धनुष वाण बना देना।।

पेड़ों पर चढ़कर, डालों पर उछलना ।
लटककर तोड़कर टहनी, कूदकर चोट खाना याद आता है।।

स्कूल से भगाना, क्लास बंक कर देना ।
घने कोहरे से निकल कर डराना याद आता है ।।

घूंसे से टिपिन को खोलकर, ताकत दिखाना ।
रोटी जीव में दवाकर, मुँह बनाकर चवाना ।।

मिर्च खाने की शर्त लगाकर, सभी को बातों में फंसाना।
आँसुओं से रुलाकर सभी को, गुड़ लेकर भाग जाना ।।

दरवाजा बंद करके, क्लास में उतार कर मोज़े घुमाना ।
कुर्सियों पर उछलना, मुँह फाड़कर हँसना याद आता है ।।

पेट दर्द का बनाकर बहाना, स्कूल ना जाना ।
चुराकर बाग़ से अमरूदों को, मुँह में दबाकर खाना ।।

हर बात पर लड़ना, मार पीट कर पहले ही रो जाना ।
आउट होकर जल्दी से बेट बॉल लेकर भाग जाना ।।

जो मिल जाए खा लेना, हर बात पर हिसाब ले लेना ।
नेकर की जेबों को फाड़कर घूमना, याद आता है ।।

पापा की मार से बचने, दादी के पैरों में घुस जाना
सिसकियाँ रोक कर, दादी के साथ सो जाना ।।

आंसुओं से लाल दिखाकर आँखों को, दादी से एक रुपया ले लेना ।
एक गोली दादी को भी देकर, एहसान उतार देना याद आता है ।

ना मुझको भी परवाह थी, ना तुझको भी परवाह थी ।
चीते थे जमीं के आसमाँ के परिंदे थे, सब याद आता है ।।

तेरी हरकतों को देखकर, मेरा गुजरा हुआ बचपन
मुझे अब याद आता है ।।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 332 Views
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