मेरा देश
ये वो रौशन सितारा है,
जिसे चमकाना पड़ता है।
मेरे इस देश में देखो,
भाई भाई से लड़ता है।
यहां सो जाते है बच्चे पेट की भूख के मारे,
गोदामों में करोड़ो टन,
यूँ ही अनाज सड़ता है।।1।।
सच्चाई जानता ये,
लेकिन अकड़ता है।
इसे तो प्यारा है पैसा,
ये बस पैसे से डरता है।
गरीबी में जीए कोई या खाली पेट मर जाये,
देश में हो जो चाहे तो,
इन्हें क्या फ़र्क़ पडता है।।2।।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार