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25 Dec 2024 · 1 min read

मेरा देश

देश की धरती स्वरूप है माँ का इसमें सबका दिल धड़कता है।
अभिनंदन करने वाले व्यक्ति का मान और सम्मान बढ़ता है।।
जिसकी नदी का अमृत है पानी और कंकर में शंकर बसते हैं।
इसलिए ऋषि मुनि भी इसको तर्पण की भूमि भी कहते हैं।।
यह मूल सनातन की पहचान इस पर परचम लहराना है।
हमें अपना विश्व गुरु का दर्जा फिर से वापस लाना है।।
हमें योग हरेक नर नारी के जीवन का हिस्सा बनाना है।
मुक्त समाज की खातिर योग को घर घर तक पहुंचाना है।।
कहे विजय बिजनौरी यह जीवन देश को अपने समर्पित है।
हर व्यक्ति का जीवन इस अपने देश को ही तो अर्पित है।।

विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।

Language: Hindi
22 Views
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