मेरा देश
है सौभाग्य ये मेरा,,
कि ये भारत की धरती है।
पश्चिम-सभ्यता झुककर,,
जिसे प्रणाम करती है।।
जिसके चरणों को सागर-सलिल स्पर्श करता है।
जिसका जय-गान करने को अम्बर भी गरजता है।।
जिसकी नदियाँ हैं पावन,, गगन जिसका निराला है।
जहाँ उगता सदा-सूरज,,जहां रंग काला उजाला है।।
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—–भविष्य त्रिपाठी,,,
—-“मेरा देश” से!!!