Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2023 · 1 min read

मेरा दुश्मन मेरा मन

मेरा मन मुझे ही बांध लेता है,
जब भी आगे बढूं पैरों में जंजीर डाल देता है,
समझ नहीं आता किस हथियार से मारूँ इसे,
जब मेरा दुश्मन मेरे ही अंदर रहता है..।।

बड़ा ही कायर कर दिया है इसने मुझको,
नींबू की तरह निचोड़ दिया है इसने मुझको,
अब मैं खुद ही अपने फैसलों से डरने लगा हूँ,
इतना अजनबी कर दिया है इसने मुझको..।।

मेरा दिल अदन के बाग में लगता है,
हिम्मत मुझे कब्रिस्तान खींच लाती है,
मेरे अंदर पता नहीं कैसी रूह रहती है,
जो मुझे हर बार जन्नत से जुहन्नम खींच लाती है..।।

अब इसका इलाज भी मुश्किल है,
मर्ज जिस्म में नहीं रूह के अंदर है,
खुराक लायूँ भी तो कहाँ से लायूँ,
इसका हकीम नीचे नहीं ऊपर है..।।

कभी मेरे बहादुरी के भी किस्से हुआ करते थे,
गली मोहल्लों के मोड़ पर बच्चे सुना करते थे,
याद करता हूँ तो वह पुराना जन्म सा लगता है,
इस जन्म में तो टूटी कब्र कर दिया है इसने मुझको..।।

prAstya…..

Language: Hindi
3 Likes · 376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all

You may also like these posts

धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
Phool gufran
बुद्ध पूर्णिमा शुभकामनाएं - बुद्ध के अनमोल विचार
बुद्ध पूर्णिमा शुभकामनाएं - बुद्ध के अनमोल विचार
Raju Gajbhiye
ममता
ममता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
*नियति*
*नियति*
Harminder Kaur
*आयु मानव को खाती (कुंडलिया)*
*आयु मानव को खाती (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वृक्षों की भरमार करो
वृक्षों की भरमार करो
Ritu Asooja
खुला आसमान
खुला आसमान
Meenakshi Bhatnagar
कविता की कथा
कविता की कथा
Arun Prasad
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
gurudeenverma198
"प्रवास"
Dr. Kishan tandon kranti
विषय-बंधन कैसे-कैसे
विषय-बंधन कैसे-कैसे
Priya princess panwar
अग्रसेन जी की आरती।
अग्रसेन जी की आरती।
Dr Archana Gupta
नवगीत
नवगीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
योग करते जाओ
योग करते जाओ
Sandeep Pande
2783. *पूर्णिका*
2783. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*~ हंसी ~*
*~ हंसी ~*
Priyank Upadhyay
हमारा कानपुर
हमारा कानपुर
Ayushi Verma
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
Rj Anand Prajapati
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
ता-उम्र गुजरेगी मिरी उनके इंतज़ार में क्या?
ता-उम्र गुजरेगी मिरी उनके इंतज़ार में क्या?
Shikha Mishra
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
वन्दे मातरम वन्दे मातरम
Swami Ganganiya
गंगा की जलधार
गंगा की जलधार
surenderpal vaidya
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
Ajit Kumar "Karn"
नव संवत्सर आया
नव संवत्सर आया
Seema gupta,Alwar
"मानुष "
Shakuntla Agarwal
कविता -
कविता - "सर्दी की रातें"
Anand Sharma
जिंदगी भर किया इंतजार
जिंदगी भर किया इंतजार
पूर्वार्थ
Loading...