मेरा तुम्हारा ये सफर
मेरा तुम्हारा ये सफ़र,नयी नयी सी डगर
थामे हाथों में हाथ ,हो कर चले बेफिक्र।
बेताब सी है आहटें,मंजिल की हैं चाहतें
हर पल हसीन है ,जो रहा तेरे साथ गुजर
बात हो दिल की,खो चुकी महफ़िल की
बाहों में थाम लो,खुद की रही न खबर।
दूरियां मिट जायेगी ,धड़कनें सिमट जाएगी
आयेगी बहार फिर,मेरे दिल के शजर।
तरसा है बहुत जिया,तेरे बिन मेरे पिया
छोड़ न जाना कहीं,बने हो जो हमसफ़र।
सुरिंदर कौर