मेरा तजुर्बा
खुद के तजुरबे से मैं
एक सत्य प्रसंग लिखता हूँ
सुख- दुःख ,खुशी-गम
सबको जीवन का अंग लिखता हूँ,
मुश्किलों से लड़ झगड़ के
बढ़ने को जीने का ढंग लिखता हूँ
भरोसा बहुत करता हूँ रिश्तो पर
मगर निभाने को एक जंग लिखता हूँ
भावनाएं ज्यादा तकलीफ देतीं हैं
लहू को तो महज एक रंग लिखता हूँ
भाग दौड़ में ही छूट जाती है
इस जिंदगी को मैं कटी पतंग लिखता हूँ ।
~रोहित यादव