– मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित –
– मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित –
भाईयो के बच गई जमीन जायदाद में अब सीर,
मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित,
घुटन होती अब इस घर में मुझे,
जहा नही कोई मान सम्मान,
मेरी इच्छा आकांक्षा बस इतनी सी की मेरे दादा परदादा के नजरिए वाला हो जाए मेरा परिवार,
सयुक्त परिवार आज किसी को ना भाए,
एकल परिवार को बना आधार,
सब न्यारे हो जाए,
अपने -अपने स्वार्थी स्वतंत्रता की लगी हुई है सबमें होड़,
अब तक मेने समय लिया की आज सुधर जाए,
पर मुझको अब नही लगता यह कभी भी सुधर जाए,
इसलिए गहलोत यह कह रहा अब घुटता है दम,
भरत अब मैंने कर दिया अपने जीवन को साहित्य को समर्पण,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184