मेरा घर संसार
मेरा घर, खुशियों से खिलखिलाता हुआ,
जिंदगी के हर ग़म में मुस्कराता हुआ।
उतार चढ़ाव हैं देखे बहुत, संघर्ष मैं बीता आधा वक़्त।
जब नहीं था बहुत कुछ, शांति थी और था सुकून।
छोटी-छोटी बातों मे हो जाते थे खुश।
वक़्त ने ली करवट, संघर्ष दिलाता गया तरक्की,
मेहनत का फल मिला, सब्र किया तो मिल गई उन्नती।
ली बहुत परीक्षाएँ जीवन ने, हिम्मत रखी हुए सफल।
कभी अपनों ने साथ छोड़ा, कभी मिला धोखा,
फिर भी कोशिश की और रखा सबको साथ।
हिम्मत और ताकत थी जो मेरे पास।
मेरी तीन परियाँ, जिनके कारण होती चेहरे पर हमेशा मुस्कान।
ना देती कभी टूटने, ना होने देती निराश।
दुःख मे ढाढस बंधाती, ना आने देती कोई खराश।
जब मैं नहीं होती उनके पास, घर होता बहुत ही शांत।
मेरे होने पर होती पूरे घर मे हलचल खास।
क्यूंकि उनके पापा रहते अपने मे मस्त, और बच्चे काम मे व्यस्त।
मैं एक कड़ी बन करती पारिवारिक समय का आगाज।
सब साथ बैठते और खाते साथ, याद आती है उन पलों की जब नहीं होती पास।
दूर हैं एक दूसरे से, पर दिलों के पास।
इसलिए ही है मेरा घर, खुशियों से खिलखिलाता हुआ,
जिंदगी के हर ग़म में मुस्कराता हुआ।