मेरा घर और विस्तारवादी नीतियाँ
जब हम अपने फ्लैट मे
शिफ्ट हुए थे।
ये बिल्कुल तय था
कि बेड रूम मे
दो वॉर्डरोब होंगे।
एक तुम्हारा और एक
इस नाचीज़ का।
कुछ दिन तो समझौते
के तहत सब ठीक चला।
फिर एक दिन तुमने
बिना बताए
अपने कपड़ों की
संख्या मे निरंतर बढोतरी के कारण
उन्हें,
मेरे वॉर्डरोब के
नीचे के कैबिनेट
में रखना शुरू कर दिया।
ये हिस्सा “अक्साई चीन ”
की तरह अब मेरे नियंत्रण से जा चुका है।
मेरा TT का रैकेट और छुटपुट
समान, जो वहाँ के मूल निवासी थे
अब टेलीविजन के नीचे बने
छोटे से ड्रावर में रिफ्यूजी का जीवन
जीने को मजबूर हैं।
साझा ड्रेसिंग टेबल मे भी
बस एक कंघे के सिवा
मेरा कुछ भी नही बचा
सारा सामान तुमने
धीरे धीरे
बाथरूम में
शिफ्ट कर दिया है।
इधर कुछ दिनों से तुम्हारी
नज़र मेरे किताबों वाली शेल्फ पर टिकी है
तुम कह भी चुकी हो
इतनी किताबें इक्कठी कर रखी है
इन्हें पढ़ते तो नही देखा?
तुम्हारा बस चले तो
आज ही इनको एक गठरी में
डालकर, बेड के नीचे बने बॉक्स मे
डाल दो।
पर मैं भी लद्दाख की तरह
अभी तक तो मोर्चे पर डंटा हुआ हूँ।
देखें, आगे क्या बनता है!!!