मेरा गुनाह
में रोजाना गुनाह करता हूँ..यह तुझे मालूम है (भगवान् को )
तू रोजाना मुझे माफ़ कर देता है..यह मुझे मालूम है (इंसान)
मुझ को आदत सी पड़ गयी है गुनाहों को करने की
और दाता तुझे आदत सी पड़ गयी है रहमत करने की
यह सिल्सिल्ला यूं ही न चलता रहे
वरना हिसाब किताब लम्बा हो जाएगा
बस ऐसी मेहर कर दे मेरे मालिक एक बार
इस जीवन के जंजाल से, मुक्ति मिल जाये
बस रहूँ तेरे चरणों में , और नाम तेरा जपा करूँ
रोजाना के होने वाले, इन गुनाहों से तो बचा करूँ
सुन ले पुकार और लगा ले अपने चौखट पर एक बार
मेरी आत्मा पर हो रहे यह बोझ को ,मिटा दे एक बार !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ