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2 Apr 2018 · 1 min read

मेरा गांव

नदी का किनारा
बादलों की छांव
सुरम्य वादियों में
बसा मेरा गांव।

इठलाते पल्लव
सरसराती हवाओं में
महकते पुष्प
मदमाती फिज़ाओं में
शिखरों से आकंठ मिले
घटाओं के हार
सहलाये धरती को
खिलखिलाती बहार

कलरव खग जन का
दिशा दिशा प्रांगण में
रजनी का धवल चन्द्र
मेरे उर आंगन में
पल पल संगीत की
वीणा बन जाता है
कण कण ज्यों धरा की
काया बन जाता है
नहीं विद्वेष जहां
न ही अवसाद की छांव
वही है छोटा सा
मेरा गांव।

विपिन

Language: Hindi
265 Views
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