Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2022 · 1 min read

मेरा गांव और …. वो शहर

गांव अब खुशहाल नहीं,
जहां खुशी हो वह शहर है ,
उदास, बंजर
जर्जर, क्षीण
जहां किलकारी थी,
आज सिर्फ दुख की पुकार,
अब तो दीवार भी बहरी है,
या बना दी गई ,
मगर कुछ तो बोलने लगी है।

वक्त कितना बदला ,
जितना मेरा गांव शायद,
अब सिर्फ माटी है, हल-बैल नहीं
मकान है, इंसान नहीं
पानी, मगर प्यास नहीं
हवा मगर इसकी जरूरत नहीं है,
अब तो जानवर भी कहां गांव आते हैं
सब तो जंगल ही है।

गांव से जंगल और
फिर जंगल काट शहर
कैसा चक्कर है ।
पहले गांव देख लोग लिखा करते थे
अब उसी को याद बनाकर ।

रात अंधेरी होती है गांव में,
शहर में सब उजाला दिन जैसा ,
अब लगता है प्रकृति और मानव,
साथ नहीं विपरीत चल रहे हैं।

वह तलाश में मोती की है,
और कहीं तलाश रोटी की जा रही है,
छोटे रस्ते , टूटी चप्पल
मगर दिल बड़ा होता है,
आप गवाड़ी है कहिए
सुनके अच्छा लगता है।

लुका-छुपी,
पकड़म-पकड़ाई ,
आंख में चोली, और पिठ्ठु
शायद आज भी दिल में है,
साथ खेले थे हम यार,
एक वो दिन भी थे,
और एक आज भी हैं।

शहर में खरीदी खुशियां मिलती है,
मगर गांव में अपनापन है,
यहां अम्मा- बूबू ,
चाचा-ताऊ ,
काकी-बुआ,
मगर वहां सिर्फ
अंकल और आंटी है।
बहुत पैसा है सुना वहां,
इतना कि अक्सर आदमी बिक जाते हैं।

-निशब्द
नैailwaल ..

2 Likes · 240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ऐश ट्रे   ...
ऐश ट्रे ...
sushil sarna
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
जन्मदिन पर लिखे अशआर
जन्मदिन पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
बचा लो तिरंगा
बचा लो तिरंगा
Dr.Pratibha Prakash
रंजिशें
रंजिशें
AJAY AMITABH SUMAN
वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
Sanjay ' शून्य'
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
नशा त्याग दो
नशा त्याग दो
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
घर आना दोस्तो
घर आना दोस्तो
मधुसूदन गौतम
వచ్చింది వచ్చింది దసరా పండుగ వచ్చింది..
వచ్చింది వచ్చింది దసరా పండుగ వచ్చింది..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दिल ये इज़हार कहां करता है
दिल ये इज़हार कहां करता है
Surinder blackpen
खो कर खुद को,
खो कर खुद को,
Pramila sultan
"मोल"
Dr. Kishan tandon kranti
मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
Kuldeep mishra (KD)
कौन सी जमात में पढ़ती हो तुम मोहल्ले के लड़के बता रहे थे बड़
कौन सी जमात में पढ़ती हो तुम मोहल्ले के लड़के बता रहे थे बड़
Rj Anand Prajapati
3837.💐 *पूर्णिका* 💐
3837.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
डॉक्टर रागिनी
यादों के शहर में
यादों के शहर में
Madhu Shah
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
Ajit Kumar "Karn"
सलाह या सुझाव रूपी
सलाह या सुझाव रूपी "बीज" उसे दिया जाना चाहिए, जिसके पास उसे
*प्रणय*
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
Ranjeet kumar patre
"समय का भरोसा नहीं है इसलिए जब तक जिंदगी है तब तक उदारता, वि
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
प्लास्टिक की गुड़िया!
प्लास्टिक की गुड़िया!
कविता झा ‘गीत’
कितने ही गठबंधन बनाओ
कितने ही गठबंधन बनाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बुराई का अंत बहोत बुरा होता है
बुराई का अंत बहोत बुरा होता है
Sonam Puneet Dubey
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
Kanchan Alok Malu
शेर अर्ज किया है
शेर अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चांद पर पहुंचा है हिन्दोस्तान, देखा आपने?
चांद पर पहुंचा है हिन्दोस्तान, देखा आपने?
Nazir Nazar
Loading...