मेरा गम ना समझ सके
लाख सहे दीवाने ने मगर, वो सितम ना समझ सके
हर जख्म का इलाज थे जो, वो मरहम ना समझ सके
मेरी मजबूरियों को बेवफाई तो जल्द ही मान बैठे
हमदर्द कहते थे खुदको मेरा, वो मेरा गम ना समझ सके
लाख सहे दीवाने ने मगर, वो सितम ना समझ सके
हर जख्म का इलाज थे जो, वो मरहम ना समझ सके
मेरी मजबूरियों को बेवफाई तो जल्द ही मान बैठे
हमदर्द कहते थे खुदको मेरा, वो मेरा गम ना समझ सके