मेरा क्या कसूर
मैं आपसे पूछना चाहती हूँ मेरा कसूर क्या है।
आपकी दुनिया का ये अजीब दस्तूर क्या है।
आप नहीं पसंद करते हो मुझे तो जन्म क्यों देते हो?
जिंदगी भर का दर्द मुझे देकर खुद भी क्यों लेते हो?
बेटों के बराबर नहीं मानते तो पढ़ाते क्यों हो?
बेटों की तरह ही मुझसे नौकरी करवाते क्यों हो?
अपने घर मेरे जन्म लेने से आपको अपार दुःख होता है।
पर दुसरे घर से बहु बनाकर लाने में क्यों सुख होता है?
मुझे तो कम पढ़ा लिखा कर आप दुसरे के घर भेज देते हो।
पर दुसरे की नौकरी लगी हुई ही बेटी का रिश्ता क्यों लेते हो?
सच में दोगलेपन और ओछेपन की भी एक हद होती है।
जब करते हो बेटा बेटी में फर्क तो ये धरती भी रोती है।
आज आपको अपनी सोच बदलने की सख्त जरुरत है।
माँ, बेटी, बहन, पत्नी से ही ये दुनिया इतनी खुबसूरत है।
माँ, बहन, पत्नी मेरे ही रूप हैं फिर मुझसे इतनी नफरत करते क्यों हो।
“”सुलक्षणा”” माँ, बहन, पत्नी चाहिए पर बेटी से इतना डरते क्यों हो?