मेरा कैटलिस्ट
मैं बचपन से ही साइंस की जिज्ञासु रही हूं।
विज्ञान मेरा विषय था और विज्ञान ही मेरा विषय है
आश्चर्य की बात यह है कि मेरे चारों तरफ मुझे विज्ञान नजर आती है।
मेरा परिवार में विज्ञान की धुरी घूमती है। जिसके दर्शन मुझे हर पल प्राप्त होते रहते हैं।
मैं, विज्ञान और मेरा परिवार इन दोनों के बीच जुड़ी एक घटना आपके सामने प्रस्तुत करना चाहूंगी
यह बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल की छात्रा थी
स्कूल तो हर किसी के जीवन का एक अद्भुत हिस्सा रहा है।
स्कूल अर्थ ही है मित्र ,दोस्त।।
घटना कक्षा सातवीं की है जब मेरी अर्धवार्षिक परीक्षाएं चल रही थी
परीक्षाएं तो हर किसी की अच्छी होती हैं परंतु परिणाम हर किसी के लिए अच्छा नहीं होता।।
जितना डर हमें परीक्षाओं से लगता है उससे कहीं अधिक गुना डर हमें परीक्षा के परिणाम से लगता है। और यह वही समय है जब आपका दोस्त आपके लिए कैटलिस्ट बन जाता है।
यदि आप परीक्षा के परिणाम को छुपाना भी चाहे तब भी आपका कैटलिस्ट आपके परिवार और आपके बीच की क्रिया प्रतिक्रिया को इस प्रकार प्रभावित करता है। जिसका फल हमेशा ऋण आत्मक प्रतिक्रिया में ही परिवर्तित हो जाता है।
पर यह भी एक अनोखा समय होता है और इस इस सफर में आप भले ही परिणाम से डरते हो परंतु अंततः इसका परिणाम हमेशा बहुत सुंदर होता है।
#आप सभी सोच रहे होंगे कि मैंने स्वयं को साइंस का जिज्ञासु क्यों कहा है इसका साधारण अर्थ यही है कि मैं और मेरे परिवार या मुझ से जुड़ा हुआ हर सदस्य मेरे लिए एक साइंस का अंग है जैसे कि मेरा मित्र “मेरा कैटलिस्ट” है।।