मेरा किरायेदार !
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मेरा किरायेदार!
निकाला बड़ा होशियार।
छीन रहा हैं वह–
मेरा अधिकार।।
आया था वह–
बनकर मेरा मेहमान।
बड़ा आदर किया मैंने,
किया नहीं उसका अपमान।।
हालात सुने मैंने–
और शरण दी उसको।
मिल रहा हैं अब!
मेरी करनी का फल मुझको।।
भावना में बह चला मैं उसकी,
समझ रहा हूं अब!
उसकी समझदारी को।
कभी न देखा था मैं–
देख रहा हूं अब! कोर्ट-कचहरी को।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल (उज्जैन)।
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