“मेरा किया सम्मान नहीं”
पत्नी हु तो अधिकार नहीं, मेरा किया सम्मान नहीं.
हर राह तेरे साथ चलू, पर अपना दर्द मे किस से कहु.
पैसा बहुत है पर साथ नहीं, क्यू तुझको एहसास नहीं.
पत्नी हु तो अधिकार नहीं, मेरा किया सम्मान नहीं.
पापा की मे गुड़िया आज, क्यू सच की गुड़िया बन गई.
खवाइश मेरी सारी क्यू, आज मन मे ही रह गई.
तू सुन सके, किया मेरे टूटे दिल मे इतनी भी झंकार नहीं.
पत्नी हु तो अधिकार नहीं, मेरा किया सम्मान नहीं.
जाने क्यू सब छूट रहा, विश्वास भी मेरा टूट रहा.
गम मे ये दिल डूब रहा. प्यार है ये, मुझपे कोई एहसान नहीं.
पत्नी हु तो अधिकार नहीं, मेरा किया सम्मान नहीं.
मायके से ससुराल मिला,
बेटी से बहु का नाम मिला.
हर रिश्ते को अपनाया है, सबको गले लगाया है.
किया सारे फर्ज़ मेरे लिये है, तुम्हारा कोई काम नहीं.
पत्नी हु तो अधिकार नहीं, मेरा किया सम्मान नहीं.