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10 Jun 2023 · 1 min read

मेरा कमरा

चार दीवार
एक छत
छत पर लटकता पंखा
एक रोशनदान
एक ही दरवाजा
एक ही बल्ब है, जलता हैं जो कुछ देर बाद
सूनी खूटियों पर टंगे हैं
कुछ कपड़े अस्त-व्यस्त
आलमारी में पड़ी ढेर सारी किताबें
मेज पर, कुछ बिस्तर पर
अस्त-व्यस्त हो बिखरे हैं
कागज के कतरन ढेर सारे
जा रहा अब लिखने ‘अनस’
अपने शब्दों को
इन रीते कागज पर….
उसी चिर-परीचित मुस्कान के साथ।

Language: Hindi
156 Views
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