✳️🌸मेरा इश्क़ उधार है तुम पर🌸✳️
मेरा इश्क़ उधार है तुम पर,
मेरा इश्क़ उधार है तुम पर,
चलते-चलते तो दूरी मिटती चली गई,
पर न तुम मिले और न तेरे अंजुमन की सोहबत,
हर एक साख़ पर फूल नहीं खिलते,
तो कौन सा इल्ज़ाम लगाता तुम पर,
मेरा इश्क़ उधार है तुम पर।।1।।
आहिस्ता-आहिस्ता सब्र का किनारा तोड़ा,
तुमने कहा था तभी तो अपना दिल जोड़ा,
कुछ नहीं यह सोज़ मेरे हिस्से की है,
सर्द की रौनक़ नहीं है तुम पर,
मेरा इश्क़ उधार है तुम पर।।2।।
ख़लिश ख्यालों को अपना रहबर बनाकर,
भला कोई जीना है,न उनको अपना दिलबर बनाकर,
फ़र्क सादगी का है, फिर इन्तजार क्यों?
इक आसान सा कदम न उठाया गया तुम पर,
मेरा इश्क़ उधार है तुम पर।।3।।
तदवीर से तक़दीर का सफ़र,
इंतिहा है तेरी तस्वीर छूने का सफ़र,
रात की बातें हैं, दिन का सुराग नहीं,
मधुर सा एक हर्फ़ न कहा गया तुम पर,
मेरा इश्क़ उधार है तुम पर।।4।।
अंजुमन-महफिल,सोज़-जलन
ख़लिश-चुभन भरा
तदवीर-Plan तक़दीर-क़िस्मत
इंतिहा-आखिर
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