मेरा इतिहास लिखोगे
अच्छा है जो आप कर रहे
आत्ममुग्ध जब आज हो रहे,
सच है कोई नहीं गुनाह कर रहे
जब आज मेरा परिहास लिख रहे।
इसे निरंतर जारी रखना
पथ से विचलित कभी न होना,
सचमुच अच्छा काम रहे,
डर से भी तुम नहीं डर रहे।
नियति तुम्हारी नहीं ग़लत है
न ही तुम्हारा मन कुंठित है,
सतत सदा तुम चलते रहना
बड़ा काम तुमको है करना।
भले आज परिहास कर रहे
फिर भी मेरा नाम कर रहे,
मुफ्त मेरा प्रचार कर रहे
तनिक नहीं तुम झिझक रहे।
निश्चित है कुछ बड़ा करोगे
केवल तुम ही ये काम करोगे,
कोई माने या न माने
कल तुम ही मेरा इतिहास लिखोगे।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश