मेरा अतीत
हूँ एक सूखी डाल मैं
जब सोचूं बीती बात
भर जाते हैं नयन
अश्रु की होती है बरसात।
कागा मुझ पर बना घौसला
तितरिया के संग
नितदिन करता बात बात पर
हुल्लड़ और हुड़दंग।
हुदहुद मोर गादुड़ मुझ पर
आते शोर मचाते
उछल कूद करते थे बन्दर
उल्लूक मुँह बिचकाते।
लद जाती जब फूलों से
मौराइ टहनी सारी
खिल जाती थीं बांछें दिल की
दिखती सूरत न्यारी।
सर सर बहते पवन झकोरे
चूम चूम कर गात
कूकने लगतीं कोयल
नभ में लहराते थे पात।
हूँ एक सूखी डाल मैं
जब सोचूं बीती बात
भर जाते हैं नयन
अश्रु की होती है बरसात।।
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सरफ़राज़ अहमद “आसी”