मेरा अक्स
मेरा अक्स लगे कुछ धुँधला सा
गर्त और धूल की चादर से ढका
आँखों की चमक है फीकी सी
मन में अपेक्षाएं कुछ थकी थकी
गुबार में चेहरा लगता अजनबी
शायद तकदीर मुझको भी बदल गयी
मेरा अक्स लगे कुछ धुँधला सा
गर्त और धूल की चादर से ढका
आँखों की चमक है फीकी सी
मन में अपेक्षाएं कुछ थकी थकी
गुबार में चेहरा लगता अजनबी
शायद तकदीर मुझको भी बदल गयी