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15 Nov 2024 · 1 min read

मेरा अक्स

मेरा अक्स लगे कुछ धुँधला सा
गर्त और धूल की चादर से ढका

आँखों की चमक है फीकी सी
मन में अपेक्षाएं कुछ थकी थकी

गुबार में चेहरा लगता अजनबी
शायद तकदीर मुझको भी बदल गयी

Language: Hindi
26 Views

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