मेजर ध्यानचंद ??
उसने ही रचा था; आरंभ के पन्नों पर
विश्व-नक्शे पर तुम्हारा नाम।
?
एक स्टीक पर मचलती गेंद को स्थिर कर
गोल तक पहुँचा; संघर्ष के हर गलियारे को लांघ।
जानता है आज भी नाम उसका
मेहनत की हथेली पर दौड़ता; मैदान का हर स्वाभिमान।
??
नहीं आयेगा वो देखने
क्या दिया है तुमने ? इंतज़ार की सदी को लांघ।
? ध्यानचंद ?
आचमन नहीं उनके गरज में शामिल जो खुद में वंदन हो जाते हैं;
ये प्रभाव तो समय का है जब चाहे उत्पन्न हो जाते हैं
Hockey India
©दामिनी नारायण सिंह ?️