“मेघ “
“मेघ ”
======
“कभी तू बनता
कोमल
पंकज ,
मंदिर बनता
और भब्य महल !
कभी लगता
है तू
बन गया
विशाल
स्वर्ग का
स्वेत शिखर !
नभ में
तू विचर रहा
अबिरल
हे मेघ ! बता
तू चला किधर ?”
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका
“मेघ ”
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“कभी तू बनता
कोमल
पंकज ,
मंदिर बनता
और भब्य महल !
कभी लगता
है तू
बन गया
विशाल
स्वर्ग का
स्वेत शिखर !
नभ में
तू विचर रहा
अबिरल
हे मेघ ! बता
तू चला किधर ?”
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका